सावन की बरसातो में 
जी लूं जरा,
बारिशों की बुंदों को 
छूं लूं जरा

वफाएं मैं ढूंढू, 
अनजानी राहों पे,
तू मुझ पे रहम 
तो कर दे जरा,
ऐ मेरे खुदा 

ये मौसम फिर न आएगा,
ये बारिशे फिर न आएगी,
मैं जीभर जी लूं जरा,
ऐ मेरे खुदा 

मैं इन बरसातो में
बहक जाऊं जरा, 
तू मुझको जरा सी
इजाज़त दे, 
मैं बहाओं में तेरी 
बह जाऊं जरा

भीगते फूलों सा 
बदन ये तेरा,
महक मैं तेरी लें लूं जरा,
तू मुझपे,जो मेहरबान हुआ,
भीगती बारिशों में जिना मेरा 
तेरे संग हुआ

ऐ बहारों फिर लौट आना,
मैं उन्हें बहाओं में लेके, 
फिर से जी लूं जरा,
ऐ मेरे खुदा 

सावन की बरसातो में
जी लूं जरा,
बारिशों की बुंदों को
छूं लूं जरा

Written by ✍️ Sunny Mehta
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